- स्वरचित……आपकी अपनी सुमि की कलम से
ये #क़ुदरत” भी कईबार …..
“करिश्मा” अजीब करती है
जिसको चाहा उसे कब
कहाँ किसी ने पाया……,,
अजनबी से “विवाह” हुआ
फिर उसी को अपने
सबसे “क़रीब” पाया
फिर वही इक औरत का
#नसीब” कहलाया
नसीब से लड़ते लड़ते
यूँ ही जीवन की
राहों में गिरते पड़ते
एक दिन उसका
#नसीब उसपर मुस्कुराया❤❤
ईश मेहर हुई उस पर
क़ुदरत ने उसे #माँ बनाया
इक नन्हा फ़रिश्ता
उसकी गोद में आया
भूल गई सब राग रंग
सारा जहाँ उसी में पाया
लाड प्यार से बड़ा किया
#नसीब ने फिर अपना
कुछ यूँ रंग दिखाया 💔💔
बड़ा होकर उसी लाड़ले ने
उसे बाहर का रसता दिखाया
जिस पर वो इतराती थी
पल पल देख जिसे मुस्काती थी
जिसकी नन्ही आँखों में
वो नित नए ख़्वाब सजाती थी
हाय उसकी ममता 😱सोचे
नसीब ने क्यों उसको माँ बनाया
#नसीब मान लिया जिसे उसने
ये क्या #नसीब कराया
उसके दिल 💔का दर्द
उसकी आँखों में उतर आया
कैसे कहे किसी से आज
उसके जिगर का टुकड़ा
सब अपनो से लगे पराया
हाय #नसीब ने माँ क्यों मुझे बनाया
😌😌😌
दिल पर पत्थर रख के ❤
उसने बेटे को पास बुलाया
और बोली जो दुःख सहा मैंने
तुम पर पड़े ना उस का साया
तुम मिलझुल रहो सदा ख़ुशहाल
बच्चों की ममता का बना रहे
सदा तुम पर साया ❤
ना निकले बहु के मुँह
🤗से कभी हाय नसीब ने
मुझे माँ क्यों बनाया
😌😌
औरत का नसीब
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