ये हिकारत की नज़र झेली हमने जीवन में है
समझा है इसको नसीहत आग अपने मन में है…
मौत क्या डरायेगी जब कफ़न अपने सर पे है
मुश्किलें भागेगी हमसे हिम्मत हमारे मन में है
तेरी मुझपे ही सियासत ये मेरे जीवन में है
तेरी सियासत की खिलाफत अब मेरे मन में है
अंगार पे चलने की आदत हमारी रग रग में है
साथ कोई कब तक चलेगा ये मेरी किस्मत पे है
तेरी गली में तेरे शिकार की हसरत जीवन में है
वजूद तेरा मिटाने की हिमाकत हमारे मन में है….
संध्या अग्रवाल