पहना टोपी, बनाके बकरा, नेता करते चुन चुन चू
अपना उल्लू सीधा करके, कहते जनताwho are you?
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
घर की मुर्गी तो दाल बराबर, करती नहीं अब कुकड़ू कू।
बाबाओं के फेर में पड़कर, जीवन, समाज, देश डूबा क्यूँ।
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
जीवन खेल, बिन इंजन रेल सा,फिर भी करता छुक छुक कू।
अंधविश्वास-अंधश्रद्धा में पड़कर,सहपरिवार मनु लटका क्यूँ।
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
नूतन पीढ़ी का हाल न पूछो, चिल-पिल करती है हर ज़ू।
अच्छे भले देश को बिठाया, कान पकड़कर उकड़ू क्यूँ।
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
समलैंगिकता अब हुई क़ानूनी, कान में मत कर खुस फुस तू
देश मेरा बना नई सोच का,फिर भी समाज रोता हर जू।
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
फ़टी जीन्स कूल्हों पर अटकी, सोच रही और कितना गिरूं
Love you,poute status symbols,युवा बने हैं टिम्बक टू।
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
सन्नाटे को चीरे सनसनी, दयाहीन हुआ तू मानव क्यूँ?
दुर्घटना का बना video,whatsapp,FB पर भेजे तू
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।
नहीं शेष अब रही संवेदना,जगा मूल्यों को हे शिक्षक तू
ज्ञान प्रकाश का जला L.E.D,अज्ञान के तम को करदे छू।
देश दशा हुई दिशाहीन, फिर आधुनिकता का दिखावा क्यूँ।