महिलाओं का भूल कर करिए नहि अपमान ।
महिलाओं से होत है हम सबका उत्थान ।।
महिला माता रूप में करती है उद्धार ।
रात रात वो जाग कर करती हमको प्यार ।।
नारी है अभिमान जगत में मान दिलाती ।
नारी है उत्थान हमें पहचान दिलाती ।।
नारी घर की शान सभी पर प्यार लुटाती ।
नारी देकर जान हमारा मान बढ़ाती ।।
नारी जलता दीप सदा तिल तिल है जलती ।
नारी बन के मीत सदा पग पग है चलती ।।
नारी तजती भेद भावना सुन्दर रखती ।
नहीं मानती हार सदा वो लड़ती रहती ।।
नारी बिन इन्सान लगे जीवन बेगाना ।
नारी का सम्मान जगत में सदा बढ़ाना ।।
कर देती बलिदान सभी वो अपने सपने ।
रखती सबका मान निभाती रिश्ते अपने ।।
नारी है आधार हमारा संबल होती ।
नारी से संसार सृष्टि की रचना होती ।।
नारी गुण की खान रही देवों की वंशज ।
नारी नव निर्माण सदा पूजे पद पंकज ।।