पृथ्वी संरक्षण दिवस,,,,
जहन में धोखे और पाप की ऊष्मा
धरती माँ ने समा ली जब खुद में
कि कुछ रिश्ते बचे रहें परदों में
खुद ही तप तड़फ रही है माँ अब
के सीखे उनके पुत्र तमाम
वे हैं सब के सब नेक इंसान
प्रकृति अपनी की रक्षा करें वे
धोखे स्वार्थ और अहम को तजें वे,,,,
शुचि(भवि)