हाँ शादी के बाद कुछ रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं ।
ये वो रिवाज़ नहीं जो आपके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाये ।
ऐसे रिवाज़ नहीं जो घूंघट के बोझ तले दबाएँ ।
ऐसी रस्में बिल्कुल नहीं जो हम नारियों को अपमानित करवाएं ।
हाँ ऐसी रस्में जरूरी है जो आपसी समझ – सोच को बतायें ।
कंगन कचारा खोले जाएं कहीं तो अंगूठी को ढूंढने की रस्म निभायें ।
आटे पर नाम लिखवाएं कही तो कलशे में चावल भरवाये ।
एक दूसरे के प्रति समर्पण जताएं
हाँ ऐसे छोटे रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं ।
आज रस्मों रिवाज़ की आड़ में औरत घुट – घुट कर मर रही है ।
ऐसे रस्में रिवाज़ से नारी को बचाये
जिनसे अरमानों की चिता जल रही है ।
जो रस्में रिवाज़ आपस में मिलवाये ऐसे रस्में रिवाज़ भी जरूरी हैं । —- जयति जैन ‘नूतन’ —-