बहता झरना
गिरता पानी
और पानी मे
तुम ओर मै।
उड़ता आँचल
चलती पुरवा
और सावन में
तुम और मै
गीत कोयल के
गाते जुगनू और
अंधियारी रातो में
तुम और मै
सूरज की लाली
और हो एक
शाम सुहानी
फूलों की झुरमुठ में
तुम और मै
पँछी, भँवरे
फूल औऱ कलियाँ
बागों में खुशबू
और खुशबू में
तुम और मै
नदी किनारे
बहता पानी
और उस पर हो
शाम सुहानी
उस शाम में
तुम और मै
✍संध्या चतुर्वेदी
मथुरा यूपी