बेवजह सी, बेसबब चली आती हैं
तेरी यादें
अक्सर नींद से भी फसाद कराती हैं
तेरी यादें
यूँ तो फुसरत नहीं ज़माने की भीड़ से
लेकिन
इस भीड़ में भी तनहा कर जाती हैं
तेरी यादें
जाने क्यों कई बार अच्छी सी लगती हैं
मगर
कई बार सुकून ओ चेन चुरा जाती हैं
तेरी यादें
बेवजह सी, बेसबब चली आती हैं
तेरी यादें …
तेरी यादें
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