परि कल्पना सोच रहे,सृजन करे उर द्वार।
माता शारदे वर दे, कलम नही व्यापार।।
कलम नहीं व्यापार, निज लाभ मजबूर करे।
सत्य ज्ञान संसार,मन भाव मजबूत करे ।।
उत्तुंग शिखर अपार , सम्मानित सत्य बोलना ।
कुटिल नीति पर वार ,कटु लगते परि कल्पना ।।
*नवीन कुमार तिवारी*,