जीवन पानी बुलबुला, पल अगले फुट जाय ।
मिलजुल मित्रता कीजिये , रहे अमर कविराय ।।
रहे अमर कविराय , मृदुभास जगत मानिये।
जग आनन्द बन भाय, जीवन सुखमय जानिये ।।
प्रेम प्यार सम भाव ,जग छोड़े निशानी ।
वैमनस्य तम स्वभाव ,बने तब *जीवन पानी* ।।
नवीन कुमार तिवारी