गीतिका
————
जरा सीख लो साँवरे प्यार करना ।
जो’ रूठे हुए उनकी’ मनुहार करना ।।
समझते स्वयं को बड़ा ही खिलाड़ी
न सीखा मगर सामने वार करना ।।
लड़ा सत असत से रहे देखते तुम
न चाहा कभी हाथ तलवार करना ।।
मिली चार दिन के लिये ज़िन्दगानी
इसे व्यर्थ ही अब न बेकार करना ।।
सदा युद्ध करते रहो शत्रुओं से
किसी पर न कोई अनाचार करना ।।
बुजुर्गों का अपमान होने न पाये
किसी मोड़ उनको न लाचार करना ।।
खिलाते रहो फूल सुखमय हँसी के
कहीं आँसुओं का न त्यौहार करना ।।
——————-डॉ. रंजना वर्मा