वो कवि है,जरा गौर से सुनना
बातों-बातों में सब कह जाएगा
कहीं भी रहो ,औकात में रहना
इज़्ज़त-दौलत यही रह जाएगा
हो कुछ भी ज़ुबान साफ रखना
दर्द वक़्त के साथ बह जाएगा
इंसानों को इंसानों से मिलने देना
तो नफरत का बाज़ार ढ़ह जाएगा
बच्चों के जज़्बों में हिम्मत रखना
फिर देखें ज़ुल्म कैसे सह जाएगा
सलिल सरोज