कन्हैया को कभी दिल मे
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कन्हैया को कभी दिल मे बसाया ही नहीं तुमने ।
इसी से प्यार में प्रतिदान पाया ही नहीं तुमने ।।
यही डर था कि जादू कर न दे घनश्याम मनमोहन
निगाहों से निगाहों को मिलाया ही नहीं तुमने ।।
दिवाना साँवरा नवनीत का यह जानते हैं सब
हृदय की प्रीति का माखन खिलाया ही नहीं तुमने ।।
सदा संसार के रिश्तों को अपना मान बैठे पर
सलोने श्याम से रिश्ता बनाया ही नहीं तुमने ।।
मिली जो चोट दुनियाँ से दिखाते ही रहे सब को
मगर निज जख़्म गिरिधर को दिखाया ही नहीं तुमने ।।
जगत की इंद्रियों को ही चराता श्याम गोकुल में
इन्हें पर ग्रास निर्मल पर चराया ही नहीं तुमने ।।
रहे निज स्वार्थ रत ही तुम न देखी और कि पीड़ा
पराये कष्ट में आँसू बहाया ही नहीं तुमने ।।
—————————–डॉ. रंजना वर्मा