इश्क़ में कोई कहानियाँ रख जा
दरिया में अब रंवानियाँ रख जा।।
गली में मंडरा रहे आशिक देखो
अब कुछ तो निशानियाँ रख जा।।
याद करते रहे हम तुझे ता उम्र
इन किताबो में तितलियाँ रख जा।।
मुरझा रहे है वो खिले गुलाब
प्यार की अब वो डालियाँ रख जा।।
वो सज सँवर के ऐसे निकले
बीच बाजार में तू नर्मियाँ रख जा।।
वो सुनेगा जरूर मांग तो सही
ख़ुदा के दर पे अर्ज़ियाँ रख जा।।
-आकिब जावेद