नीम हाकिम खतरे जान ,,
अदरक का पंजा हूँ , जगह देख घुसा हूँ !
खर पतवार देखो ,हमें नहीं उखाड़ो !!
खर पतवार खोजो , अपनी ओकात देखो !
जल रहे अब सोचो , हमें कैसे उखाड़ो !!
नीम हाकिम मिलते , मठाधीश ही बनते ,
मीठी बात क्यों कहते , हमें देख उखाड़ो !!
अपनी मौत मरते , व्यर्थ इर्ष्या ही करते ,!
अदरक बन जाओ , हमें काहे उखाड़ो !!
नवीन कुमार तिवारी अथर्व✍