रिश्ते से बेपरवाह , किये रहे फरियाद ।
रिश्ते कहाँ अब याद , आंसू निकालिये ।।
रिश्ते पर आते रिश्ते , हसीन रहे फ़रिश्ते ।
महंगे थे खोटे सिक्के , आंसू दिखयीये ।।
रिश्ते टुटरहे रिश्ते , मौत पर बने किस्से ।
दहेज़ ले घसीटते , आंसू सुखाइये ।।
नवीन कुमार तिवारी, अथर्व ✍