जनता पर बोझ रखते, जी एस टी हो फ़ैल ।
मूढ़ राजा सोच रहे , कैसा सुन्दर खेल ।
महंगाई बोझ रहते, जनता है हैरान ।
दाम बढ़ाते जारहा ,अनबुझे कराधान ।
नवीन कुमार तिवारी,,
जनता पर बोझ रखते, जी एस टी हो फ़ैल ।
मूढ़ राजा सोच रहे , कैसा सुन्दर खेल ।
महंगाई बोझ रहते, जनता है हैरान ।
दाम बढ़ाते जारहा ,अनबुझे कराधान ।
नवीन कुमार तिवारी,,