दहलीज
दुर्घटना होकर रही , पार हुई दहलीज ।
सीमा तोड़कर चलता ,वही है बत्तमीज ।।
अंध भक्ति पोषक रहे, टूट रही दहलीज ।
सत्य ईमान भूलते , बनाते बत्तमीज ।।
नारकीय राह लगते , विष पान दहलीज ।
नैन जल गिराते दिखे ,घड़ियाल बत्तमीज ।।
दहलीज टूटती रही, है विद्रोह आवाज ।
दमन शीलता हारता , स्वतंत्रता आगाज ।।
नवीन कुमार तिवारी,,,,,