बहिष्कार भी कीजिये, चारी चुगली भार।
पर निंदा क्लेश सजते, आग लगाते सार ।।
चारी चुगली जब हुये,नारी बैठे चार ।
सास बहू तुनक पड़ते, मौन से बहिष्कार ।।
मनके माला गिन रहे,नैन करे व्यभिचार।
संत भेष बहुरूपिया ,किये तब बहिष्कार ।।
श्वेत धवल वसन पहने, करते ये व्यभिचार ।
नेता बन लूट चलते , करिये न बहिष्कार ।।
मतदान बेच सो रहे , मुफ्त खोर बने यार ।
विकास डंक मार गया, करें अब बहिष्कार ।।
कुनबे वादी जीतते, समान कह अधिकार ।
चाचा बहू राज करे, करें कब बहिष्कार ।।
नवल सवेरा दिख रहा, चश्मा उतारो यार।
जात पात भूल चलिये, कदम बढ़ाते चार ।।
सीमा पर गद्दार खड़े, सीना जोरी भार ।
देश हीत बोल जुड़िये ,जूते मारो चार ।।
*नवीन कुमार तिवारी*,,,