मचा है देखो कितना जग में कोहराम,
अब तो हमें संभालने आ जाओ मेरे राम।
तडप रही है भारत मां की जुल्म सितम से,
आ भी जाओ प्रेम सरिता बहा दो अविराम।
कमजोर होने लगे हैं सारे रिश्ते नाते जग में,
त्राहि-त्राहि मची हुई है लगा दो उस पर विराम।
सागर जैसा साहस भर दो मनुज मनुज के मन में,
अटल हो सभी और गूंजें हर दिशा में जयश्री राम।
मानव मन में उत्साह उम्मीद उमंग भर ने,
पुरूषोत्तम सीता मैय्या मां कौशल्या के अभिराम।।
डॉ राजमती पोखरना सुराना भीलवाडा