Yuvraj Amit Pratap मुक्तक (संदेशात्मक) May 6, 2018 10:09 pm मेरे सिंद्धान्त मेरी सच्चाई 06 May किरदार गुम हुए अब वस्त्र नाचते हैं हर ओर भले सीरत हो कौए सी दिखते सभी सुंदर मोर ईमानदार वह जो एकांत जंगल में भी ईमानदारी बरते ना कि समाज के डर से शुद्ध वचन और आत्मा हो चोर **** युवराज अमित प्रताप 77 Registered Copyright N.-1179/92 Read by 31 Report Post Share: Related Posts:"कटा पेड़ रो रहा है"...तुम मेरी स्वांस हो"मेरे हुज़ूर"..."जी करता है"..."मजदूर"..."ढल जाऊँ मैं"...