रिश्तों की अजीब ये रस्साकशी है
कहीं है चाहत तो कहीं बेबसी है
इन सबसे दिली भावनायें जुड़ी हैं
इन सबको निभाना ही बंदगी है….
संध्या अग्रवाल
रिश्तों की अजीब ये रस्साकशी है
कहीं है चाहत तो कहीं बेबसी है
इन सबसे दिली भावनायें जुड़ी हैं
इन सबको निभाना ही बंदगी है….
संध्या अग्रवाल