Shobha kiran मुक्तक (वेदना) May 14, 2018 12:30 pm खुशियां रास नहीं आती 14 May खुशियों को भी खुशियां मेरी ,रास नहीं आती। गुजर जाती हैं गलियों से, पास नहीं आती। जिस घड़ी का इं तजार करते हैं बरसों से, सजती है कई महफ़िल,वो घड़ी खास नहीं आती। Shobha kiran Read by 111 Report Post Share: Related Posts:"फिर कैसे बेवफ़ा मैं ?"...कसनी ज़िमाम अच्छी नहीं हरगिज़"मुहब्बत की नहीं मुझसे "दौलतें विश्वास की जब जब दिलों से घट गईंरंज-ओ-ग़म हो न अगर आँखें कभी रोती क्या ?बहुत अच्छा है कि खूबियाँ साथ ले के चलो