“न फ़रमानी का अंजाम ” **********************
न फ़रमानी का अंजाम तुम्हे भुगतना होगा।
देश के गद्दारो अब तुम्हें मरना होगा ।
बहार वालो से लड़ना आसान बहुत है ,
अब घर में छुपे दुश्मनो से लड़ना होगा ।
न जाने फ़िजा में ये कौन सा रंग मिला है ,
चाहे जो हो हमे फितरत बदलना होगा।
गली मोहल्लों में हर तरफ कोहराम मचा है ,
दुश्मन के सीने पर चढ़ कर मारना होगा।
देश के जवानों को बुज़दिल न समझे कोई ,
पत्थर का जबाब , पत्थर से देना होगा ।
बेटिओं के सुहाग की कीमत वो क्या जाने ,
उन्हें वो कीमत जान देकर चुकाना होगा ।
मेरी बात माने अगर कोई तो ,
छोड़ सारे काम अब उन्हें निपटाना होगा ।
नही किया यह काम अभी हमने तो ,
यूँ ही हर रोज आँसू बहाना होगा ।
सैनिको का सम्मान करेंगे श्रद्धांजलि देकर,
वीरांगनाओ को पेंसन देकर बहलाना होगा।
” नीरज सिंह”