मदारी
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हमारे गाँव में देखो मदारी आज आया है ।।
लिये है साथ मे भालू
नचाता आ रहा बन्दर
कभी वह गांव के बाहर
कभी वह गांव के अंदर ।
नचाकर बंदरों को खेल भी सुंदर दिखाया है ।
हमारे गाँव मे देखो मदारी आज आया है ।।
बन्दरिया ओढ़ कर चुनरी
बड़े नखरे दिखाती है ,
उठा कर आइना अपना
अनोखे ढँग दिखाती है ।
कराने को विदा दूल्हा बना बन्दर भी आया है ।
हमारे गाँव मे देखो मदारी आज आया है ।।
छमाछम नाचता भालू
ढमा ढम ढोल है बजता ,
दुल्हन घूँघट से झाँके है
लगा टोपी दुल्हा सजता ।
मिलें सिक्के मदारी ने फ़टी चादर बिछाया है ।
हमारे गाँव मे देखो मदारी आज आया है ।।
———————– —-डॉ. रंजना वर्मा