कागज दिल पै,उतारी है मैने अपने दिल की बातें
कागज भी है थका ..थका सा, जैसे मेरी ये सांसे
नाम तेरे बिन कोई भी कागज, अमर कैसे हो पायेगा
जब तक ना तस्वीर बनें , ना लिखूं कोई तेरी बातें
मैने दिल को इस कागज पै , “कागज दिल” लिख डाला है
एक निमंत्रण तुम्हें भेजकर , एक मैने रख डाला है
“सागर” इस कागज के दिल की, लाज जरा तुम रख लेना
मेरे दिल की बातों को तुम , इस कागज पै पढ लेना !!
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मूल रचनाकार ……
डाँ. नरेश कुमार “सागर”
9897907490