Amit kumar Dubey काग़ज़ दिल रचना Mar 9, 2018 6:00 pm काग़ज़ दिल 09 Mar काग़ज़दिल कोरा रहा, कोरा मन का ग्राम। कोरा कोरा दिन गया , कोरी कोरी शाम।। कैसे कह दूँ रामजी , काग़ज़दिल बेकार। आज नहीं तो कल पिया,लिख जाएँगे प्यार।। ●अमित कुमार दुबे Read by 19 Report Post Share: Related Posts:दोहे" title="दोहे" width="150" height="150" class="crp_thumb crp_featured" />दोहे