ग़ज़ल
साथ हमारी खुशियाँ लाए काग़ज़दिल।
आप बड़ी ही देर से आए काग़ज़दिल।।
नकलें करते लोग कहानी नग़मों की।
किसकी गज़लें, कौन सुनाए, काग़ज़दिल।।
पानी को जो रोज़ तरसती थी पल पल।
चिड़िया प्यासी आज नहाए काग़ज़दिल।।
सबने लूटी ख़ूब मलाई लेखक की।
भूखे रहकर कष्ट उठाए काग़ज़दिल।।
राहों से अंजान भटकती नदियों को।
सागर से हर रोज़ मिलाए काग़ज़दिल।।
।।धन्यवाद ‘सुर’।।