कागज़ दिल पे लिखी ,किस्मत की ठिठोली है
रात कुछ ज्यादा अँधेरी है,चांदनी सहमी सी अकेली है,
आकाश में बिखरे सपनो में , खून की लाली है
आंखे ये मधुशाला पर, सपनो से खाली है ,
खिलते हुए गुलशन तो है पर, बिछड़े हुये माली है
हालत की बदली है हम, दोनों पे बरसी है,
उनके ख्वाब भी घायल है, मेरी रूह भी जख्मी है
बिखरे हुए सपने है, टूटी हुयी नींदे है ,
इस तरह ये जुदाई हर ,शख्स पे भारी है
वो सो रहे है लकिन अब भी, होंठो पे बेबसी है,
चिर निंद्रा उनकी आँखों में, धोखे से आ गयी है
वादे हो गए उनके सारे देखो, कितने सवाली है,
मेरी याद में वो मुझको ,अब तक बुला रहे है
अहसास सारे अपने हुए , आज मवाली है,
एक फूल मुस्कुराया खुशबु से भर गया
किस्मत का करिश्मा पर डाली से गिर गया।
शिखानारी