मुक्तक –
काग़ज़दिल कोरा लिए,मिली पिया के संग।
पलभर में ही भर दिए,मुझमें वो बहु रंग।।
स्नेह-प्रेम पा रामजी,तन-मन हुआ निहाल।
मैं बेसुध बहने लगी,ज्यूँ शिव-जट से गंग।।
●अमित कुमार दुबे
मुक्तक –
काग़ज़दिल कोरा लिए,मिली पिया के संग।
पलभर में ही भर दिए,मुझमें वो बहु रंग।।
स्नेह-प्रेम पा रामजी,तन-मन हुआ निहाल।
मैं बेसुध बहने लगी,ज्यूँ शिव-जट से गंग।।
●अमित कुमार दुबे