लड़े जा रहे हैं सभी ज़िंदगी से
खुशी से मरे ,कुछ मरे खुदकुशी से
गिरी वक्त की गाज हम पे कुछ ऐसे
रहे दूर हम प्यार की रोशनी से
हुए पल में तोला हुए पल में माशा
वो रंगत बदलने लगे हैं अभी से
निकलते ही मतलब बदलते हैं तेवर
जो थे अपने कल तक वो हैं अजनबी से
कलाम उंगलियों से हैं लिखने लगे हम
हुई यूं मुहब्बत काग़ज़ दिल से
खुली वादियों का हसीं मंज़रों का
करें जिक्र आ, चाँद से, चाँदनी से
हैं “मासूम” इतने शजर काट कर वो
महक मांगते हैं हवा संदली से
मोनिका “मासूम”📝📝