ये मुमकिन नहीं के ये दिल हर रिश्ता जोड़ पायेगा
हर रिश्ते को मंज़िलो पे मोड़ पायेगा
लिखते थे हर कागज़ पे..
दिल को उम्मीद थी की हर कोई समझ पाए.. काग़ज़दिल को
.मगर हर नज़्म कौन समझ पायेगा बस काग़ज़… दिल…बनके बिखर जायेगा..
ये मुमकिन नहीं के ये दिल हर रिश्ता जोड़ पायेगा
हर रिश्ते को मंज़िलो पे मोड़ पायेगा
लिखते थे हर कागज़ पे..
दिल को उम्मीद थी की हर कोई समझ पाए.. काग़ज़दिल को
.मगर हर नज़्म कौन समझ पायेगा बस काग़ज़… दिल…बनके बिखर जायेगा..