कितना कुछ आसान बनाकर रक्खा है
जाने क्यों तूफान उठाकर रक्खा है
इससे बेहतर और सियासत क्या देगी
काँटों पर कालीन बिछाकर रक्खा है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
कितना कुछ आसान बनाकर रक्खा है
जाने क्यों तूफान उठाकर रक्खा है
इससे बेहतर और सियासत क्या देगी
काँटों पर कालीन बिछाकर रक्खा है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद