वह शाम हिज्र थी उस पर जुनून तारी था
ब शक्ले अश्क इन आँखों से खून जारी था
हमारे शहर का मौसम बदल गया कितना
कि अब के साल दिसम्बर पे जून भारी था
अरशद साद रूदौलवी
वह शाम हिज्र थी उस पर जुनून तारी था
ब शक्ले अश्क इन आँखों से खून जारी था
हमारे शहर का मौसम बदल गया कितना
कि अब के साल दिसम्बर पे जून भारी था
अरशद साद रूदौलवी