Yuvraj Amit Pratap क़ता (संदेशात्मक) Jul 21, 2018 11:40 pm ज़हर पीकर मौत को ठगते हैं 21 Jul नहीं मलनी अब पलकें, सपनों की भी एक हद होती है भूल जाता धड़कते में दिल,दिल की भी सरहद होती है आओ ज़हर पीकर थोड़ा, अब मौत को ठगते हैं लोगों के मरने की वज़ह तो आजकल शहद होती है ******* Registered Copyright-N-1098/63 युवराज अमित प्रताप 77 Read by 11 Report Post Share: Related Posts:आलीशान कफ़स में मुर्दा जिंदगीजबसे लगा मैँ लिखने ,दर्द हमदर्द लगा दिखनेसरहद उम्मीद कीनहीं कोई तुम्हारा , तुम्हारा होकरयादें साथ उम्रभर काचेहरे पे चेहरा