शुक्रे-ख़ुदा अदा किया मैंने बुझा के प्यास
कुछ लोग देखते रहे छोटा-बड़ा गिलास
पानी की गर हो बात तो ज़मज़म को छोड़कर
पाकीज़गी में कौन है गंगा के आसपास
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
शुक्रे-ख़ुदा अदा किया मैंने बुझा के प्यास
कुछ लोग देखते रहे छोटा-बड़ा गिलास
पानी की गर हो बात तो ज़मज़म को छोड़कर
पाकीज़गी में कौन है गंगा के आसपास
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद