उमीद टूट गयी जब सजी धजी अपनी
तो दिल से चीख़ भी निकली घुटी घुटी अपनी
मैं कैसे मान लूँ उसको कि हमसफर है मिरा
लकीर हाथ कि जब है मिटी मिटी अपनी
अरशद साद रुदौलवी
उमीद टूट गयी जब सजी धजी अपनी
तो दिल से चीख़ भी निकली घुटी घुटी अपनी
मैं कैसे मान लूँ उसको कि हमसफर है मिरा
लकीर हाथ कि जब है मिटी मिटी अपनी
अरशद साद रुदौलवी