#ख्वाइशे ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज भी उन ख्वाईशो से मैं लिपटकर
सोता हूँ भले आज वो लाशें ही सही
इन ठिठुरती सर्दियों में•••••••
अनजान खामोश बिस्तरों पर जो
कभी स्वप्न थे जीवंत और उसको
पाने की अभिलाषाओं से भरे
कितना वीरान सा सुकूँ भरा
शून्य से चेतना से परे
एक अलग ही दुनिया का आकाश
एक ही अक्स जैसा सोया हुआ
जी चिरकाल तक
न कोई स्पंदन न कोई चेतना
क्योकि वो ख्वाइश भरी लाशें
मुझे गर्मी सा अहसास देती है और
न जाने क्यों वो न सरकती
है न पलटती है खामोश
होकर मुझे उस अंतर्द्वंद के शोर भरे
डर से बचाती है
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आज भी न जाने क्यों••••••••
न जाने कितने ख्वाईशो के पड़ाव को
पाकर आज वो इस सुकूँ में
शांति को प्राप्त होकर
पसर सी गयी है
बहुत रिश्तों और अहसासों के समंदर
के तुफानो से #मनु
कई दूर
कई दूर
कई दूर••••••••
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——–#मनुराज इंदौर मप्र