नींद आती नहीं मुझे रात भर कोई तो वजह है
यकीनन कोई तो मुझमें रात भर जागता रहता है
मेरे ज़िंदादिल और हसीन होने का यही राज़ है
मेरी नसों में कोई तो खूं बनकर भागता रहता है
महफूज़ हूँ मैं बिलकुल जैसे कोई मोती सीप में
दुआ में रोज़ कोई मुझे खुदा से माँगता रहता है
खुदा का घर बसा तो भगवान् के अख्तियार से
मेरी ग़ज़ल में कोई तो नज़्म ये कहता रहता है
दावा है कि बुलंदियों तक पहुँचूँगा मैं एक दिन
अब भी कहीं कोई माँ के जैसे चाहता रहता है
सलिल सरोज