सच कहना तो गुनाह बन गया यारों
जो कहा तो सजा बन गया यारों
सच्चाई की ही खाता हर कोई कसमें
झूठ की ही बन गया है दवा यारों
सच तो बैठा है छुपा खुद में ही कहीं
किज्ब़ का ही चला बस कारोबार यारों
बेजुबाँ सच ले अमित भी बैठे हैं गाफिल
कहीं से निकलेगा कभी तो कोई मुतदैन
सच का भी पता करने ठिकाना यारों
….Reg. Co.Ryt.No.-709…..
.किज्ब़ – झूठ
गाफिल – निश्चित
मुतदैन – ईमानदार –