अक्स पानी में गर बनाएँगे
तेरी तस्वीर कैसे पाएँगे||
आ भी जाओ कि चाँद है गुमसुम
आपके गीत गुनगुनाएँगे।।
हो गयीं यादें माज़ी की रुख़सत
दर्द अब कैसे सर उठाएँगे।।
अब डराते नहीं हमें सपने
नींद किसकी वो अब चुराएँगे।।
थी ख़ता किसकी है सज़ा किसकी
जब मिले रब तो पूछ आएँगे।।
चाँद हूँ मैं कि मेरे सूरज तुम
अब तो तुमसे ही जगमगाएँगे||
‘भवि’ तेरी मुफ़लिसी ही अच्छी है
दोस्त -दुश्मन तो जान पाएँगे||