अपने अरमानों को वक्त के साथ बहने दो ,
दिल में हो कोई बात , जुबां तक आने दो ,
घटाएं घिर के आयेंगी अक्सर पर्वत पर,
जवाँ दिलो पर प्यार की बारिस होने दो ,
बदनामी के डर से, जीना छोड़ दे क्या हम ,
दिलो को दो बातें मोहब्बत की करने दो ,
इतना क्यों डरा हुआ सा है तेरा यह शहर ,
हम आ गये है तेरे शहर में ,सबको हँसने दो ,
अपनी नज़रो पर लगाम लगाना सीख लो ,
ये नादान कलियाँ है इन्हे खुल कर जीने दो ,
ये कल को तेरे घर की रौनक बढ़ाएंगी ,
तितलियों को खुले आसमान में उड़ने दो ,
कल की चिंता कर तू अपनी, प्यारे जहां में ,
आज अपने माँ बाप को सुकून से रहने दो ,
“नीरज सिंह “