फ़िज़ा में चमकता सितारा न देखा
ऐसे दर्द उसने हमारा न देखा
ऐसे काट डाले है हमने शज़र को
कोई भी बशर में किनारा न देखा
तेरा तो बुराई से होगा भला अब
भलाई में हमने गुज़ारा न देखा
गुमाँ भाईचारा का सबको यहाँ था
यूं पहले सरीखा नज़ारा न देखा
रिहा जबसे आँखों से हमने किया तो
गया छोड़कर अब दुबारा न देखा
-आकिब जावेद
१६/०७/१८