कितना खुद से मैं काम लेता हूँ
मान खुद को गुलाम लेता हूँ
जब भी तेरा मैं नाम लेता हूँ
दिल को हाथों से थाम लेता हूँ
चन्द सिक्के फकीर को देकर
मैं दुआयें तमाम लेता हूँ
मुश्किलें लाख सामने आयें
सब्र से ही मैं काम लेता हूँ
साद ये भी सबब है बरकत का
नाम रब सुबह शाम लेता हूँ
अरशद साद