पानी के बदन पर कोई अफसाना लिख दो
दरिया बहुत प्यासा है कोई मुहाना लिख दो
बहुत तरसा हुआ है दिल तुम्हारे दीदार को
मुझे पल-दो-पल नहीं पूरा ज़माना लिख दो
मैं तुम्हें गर पूजता नहीं तो और क्या करता
दुनिया कहती है तो मुझे दीवाना लिख दो
तुम आ गयी हो चमन में तो इतना कर दो
इन फ़िज़ाओं को तो कोई नज़राना लिख दो
कौम को कहाँ बची हुई है फुर्सत हुज्जतों से
खुदा भी सुन ले कोई तो बहना लिख दो
सलिल सरोज