जो बुलाया है मुझे तो इतना कर देना
किसी की निगाहों में जाम भर देना ।।1।।
जो लड़खड़ाने लगे कदम मेरे जानिब
किसी की बाँहों में मेरी शाम कर देना ।।2।।
बस सब लुटा देना कुछ भी नहीं बचाना
ये चंचल शोखी तक मेरे नाम कर देना ।।3।।
हो सके तो शबाब से आग लगा देना
याद रखे जहाँ कुछ ऐसा काम कर देना ।।4।।
हुस्न हो ऐसा की मसीहाई उभर आए
और इसकी मनादी सरे आम कर देना ।।5।।
ये नूरे नज़र कहाँ टिकती है सबों पे
घाटा ही सही पर सस्ते दाम कर देना ।।6।।
– सलिल सरोज