बूढ़े मज़्लूम यहां तक कि जवानी रोये
दर्द बर्मा का लिए रूत ये सुहानी रोये
किस से फ़र्याद करें और कहाँ जाएं अब
जिस्म मजरूह है साँसों की रवानी रोये
नन्हे बच्चों का तड़पता हुआ देखे मंजर
सिर्फ आँखें ही नहीं आँख का पानी रोये
जुमले जुमले में लहू जिसमें अयाँ होता
सिर्फ किरदार नहीं पूरी कहानी रोये
आदमियत का उठाया है जनाज़ा तू ने
तेरी करतूत से तो दुश्मन-ए-जानी रोये
दिल बहुत तङपा है और रूह मचल उठठी है
हम कभी देख के तस्वीर पुरानी रोये
अब है नजदीक बहुत रोज कयामत हमसे
देख के हम तो क़ियामत की निशानी रोये
बाग़बानों का सितम साद बढा है गुल पर
सहमी सहमी है यहाँ रात की रानी रोये
अरशद साद रूदौलवी