बह्र- 2122 1212 22
आज इस दिल पे क्यों खुमारी है।
हो गयी इश्क़ की बिमारी है।
और कुछ अब हमें दिखे भी क्यों,
उस खुदा पर नज़र हमारी है।
दिल फिदा चाँद पर हुआ मेरा,
हाँ तभी तो ये बेकरारी है।
चाँद तू चाह भी ले हमको,
सुन हमारी तुझी से यारी है।
फिर सनम रोक ही लिया तुमने,
ये नज़र सच में ही दुलारी है।
कर्ज़ है प्यार का सनम हमपर,
सांस पर भी लगे उधारी है।
मत लगा रोग इश्क़ था ओ दिल,
अब लगा तो सखी बिचारी है।
©सखी