कितना तन्हा ये दिल हमारा है ।
तेरा होकर भी बे सहारा है।।
डूब जाए न कश्ती ए उम्मीद।
दूर मुझसे अभी किनारा है।।
हमनवा है फ़क़त़ मेरा तू ही।
बिन तिरे अब कहाँ गुज़ारा है।।
जिसने रुस्वा किया सरे महफ़िल।
आज भी जान से वो प्यारा है।।
ग़ैर “अंशु” को क्यों समझते हो ।
इसने सब कुछ तुम्ही पे वारा है।।
©अंशु कुमारी