मेरी मांग में चाँद तारे सजा दो ।
मुहब्बत की राहों में कलियां बिछा दो।
मुहब्बत में तेरी गिरफ्तार हैं हम,
अगर है ख़ता तो हमें तुम सजा़ दो।
सफ़र ज़िंदगी का बहुत ही कठिन है,
करो प्यार इतना कि आसां बना दो।
कभी पास आना कभी दूर जाना,
करीब आओ इतना कि उलझन मिटा दो।
अगर चाहते हो मुहब्बत किसी की,
तो उसकी वफाओं का कुछ तो सिला दो।
मुहब्बत में तुम यूँ निगाहें न फेरो,
सनम चाहे इसके सिवा जो सजा़ दो।
मुहब्बत ख़ुदा है मुहब्बत ख़ुदायी,
मुहब्बत को दुनिया के सर पर बिठा दो।
—-राजश्री—